सार
मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े मनोज जरांगे से महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने मुलाकात की। इस दौरान मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर दोनों ने मिलकर माल्यार्पण किया
विस्तार
मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े मनोज जरांगे के धरने को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति का तापमान बढ़ गया था। लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राजनीति के बढ़ते तापमान को उस वक्त ठंडा कर दिया, जब उन्होंने शुक्रवार रात एक मसौदा अध्यादेश का एलान किया। इसी बीच, शनिवार को आंदोलनकारी मनोज जरांगे और सीएम एकनाथ शिंदे के बीच मुलाकात हुई जिसको लेकर विपक्षी दलों के बीच हलचल तेज हो गई है। मुलाकात के दौरान मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर दोनों ने मिलकर माल्यार्पण किया। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा मांगे मानने के बाद मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे धरने को मनोज जरांगे खत्म कर रहे हैं।
सीएम शिंदे और मनोज जरांगे की हुई मुलाकात
शनिवार को दोनों के बीच मुलाकात महाराष्ट्र के वाशी में हुई। खास बात यह है कि मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े कई आंदोलनकारी यहां हजारों की संख्या में जुटे हुए हैं। इस मुलाकात की जानकारी अधिकारियों ने दी। राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार रात एक मसौदा अध्यादेश लाने के बाद सीएम शिंदे और जरांगे की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। शुक्रवार रात सरकारी अधिकारियों की एक टीम ने धरना स्थल पर जरांगे से मुलाकात की थी।
महाराष्ट्र सरकार को जरांगे ने दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि शुक्रवार को अपने भाषण के दौरान जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर रात तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो, वह मुंबई स्थित आजाद मैदान में अपने तय धरने को लेकर तैयारियां तेज कर देंगे और शनिवार को मुंबई में प्रवेश करेंगे। साथ ही उन्होंने सरकार से एक नई मांग कर दी है। जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार सभी मराठों को शामिल करने के लिए अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करें, जब तक आरक्षण का लाभ पूरे समुदाय के लिए उपलब्ध न हो जाए।
37 लाख कुनबी प्रमाण पत्रों का डेटा दें- जरांगे
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने राज्य सरकार से जारी 37 लाख कुनबी प्रमाण पत्रों का डेटा भी मांगा है। बता दें कुनबी, एक कृषक समुदाय है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं।
कौन है जरांगे
पिछले साल सितंबर माह में जरांगे उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे जब पुलिस ने जालना जिले के सरती गांव में उनके अनिश्चितकालीन अनशन पर मौजूद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया था। हालांकि बाद में जरांगे ने अपने धरने का दूसरा चरण शुरु किया था। आंदोलन को बढ़ते देख राज्य सरकार को उनसे बात करने के लिए मजबूर होना पड़ा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिल के दौरान आरक्षण प्रदान करने के लिए एक कानून बनाया था, हालांकि उसे 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
शनिवार को दोनों के बीच मुलाकात महाराष्ट्र के वाशी में हुई। खास बात यह है कि मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े कई आंदोलनकारी यहां हजारों की संख्या में जुटे हुए हैं। इस मुलाकात की जानकारी अधिकारियों ने दी। राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार रात एक मसौदा अध्यादेश लाने के बाद सीएम शिंदे और जरांगे की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। शुक्रवार रात सरकारी अधिकारियों की एक टीम ने धरना स्थल पर जरांगे से मुलाकात की थी।
#WATCH | Maharashtra CM Eknath Shinde and Maratha quota activist Manoj Jarange Patil together garland the statue of Chhatrapati Shivaji Maharaj in Navi Mumbai
महाराष्ट्र सरकार को जरांगे ने दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि शुक्रवार को अपने भाषण के दौरान जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर रात तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो, वह मुंबई स्थित आजाद मैदान में अपने तय धरने को लेकर तैयारियां तेज कर देंगे और शनिवार को मुंबई में प्रवेश करेंगे। साथ ही उन्होंने सरकार से एक नई मांग कर दी है। जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार सभी मराठों को शामिल करने के लिए अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करें, जब तक आरक्षण का लाभ पूरे समुदाय के लिए उपलब्ध न हो जाए।
37 लाख कुनबी प्रमाण पत्रों का डेटा दें- जरांगे
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने राज्य सरकार से जारी 37 लाख कुनबी प्रमाण पत्रों का डेटा भी मांगा है। बता दें कुनबी, एक कृषक समुदाय है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं।
कौन है जरांगे
पिछले साल सितंबर माह में जरांगे उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे जब पुलिस ने जालना जिले के सरती गांव में उनके अनिश्चितकालीन अनशन पर मौजूद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया था। हालांकि बाद में जरांगे ने अपने धरने का दूसरा चरण शुरु किया था। आंदोलन को बढ़ते देख राज्य सरकार को उनसे बात करने के लिए मजबूर होना पड़ा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिल के दौरान आरक्षण प्रदान करने के लिए एक कानून बनाया था, हालांकि उसे 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।