सार
मक्की और दालों की भारी मांग है। फिर भी किसान एमएसपी से नीचे बेचने को मजबूर हैं। एमएसपी पर गारंटी से दालों का आयात कम होगा। कृषि विविधता को भी बढ़ावा मिलेगा
विस्तार
केंद्र सरकार की ओर से मसूर, अरहर, उड़द, मक्की व कपास की एमएसपी पर गारंटी से पंजाब की नुहार बदल सकती है। वहीं, देश में दालों की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे आयात में कमी आएगी। हालांकि, पंजाब में इससे कृषि विविधता को बढ़ावा मिलेगा। मसूर दाल की खेती के लिए उपयुक्त तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच होता है।
मसूर दाल की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। यह पंजाब के लिए बिल्कुल सही है। अक्तूबर से दिसंबर के बीच की जाती है। बीजों की बुआई के बाद उन्हें पर्याप्त पानी प्रदान करना महत्वपूर्ण है, खासकर बुआई के बाद के 2-3 हफ्तों में।
पंजाब के किसानों के लिए भी मसूर की खास किस्में मौजूद हैं। पंजाब में मसूर की दाल की खेती काफी कम है, लेकिन किसान विशेषज्ञों का कहना है कि अगर है कि 2023 में 29 लाख टन मसूर, अरहर और उड़द का आयात करना पड़ा। पिछले साल के मुकाबले आयात में यह करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी है।
पंजाब में वर्ष 2020-21 में मसूर का समर्थन मूल्य 5100 रुपये प्रति क्विंटल था। अभी मसूर का मार्केट मूल्य करीब 6100 से 6125 रुपये प्रति क्विंटल है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है। कुछ महीने पहले मसूर का मूल्य 7500-8000 रुपये प्रति क्विंटल था।
मसूर दाल की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। यह पंजाब के लिए बिल्कुल सही है। अक्तूबर से दिसंबर के बीच की जाती है। बीजों की बुआई के बाद उन्हें पर्याप्त पानी प्रदान करना महत्वपूर्ण है, खासकर बुआई के बाद के 2-3 हफ्तों में।
पंजाब के किसानों के लिए भी मसूर की खास किस्में मौजूद हैं। पंजाब में मसूर की दाल की खेती काफी कम है, लेकिन किसान विशेषज्ञों का कहना है कि अगर है कि 2023 में 29 लाख टन मसूर, अरहर और उड़द का आयात करना पड़ा। पिछले साल के मुकाबले आयात में यह करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी है।
पंजाब में वर्ष 2020-21 में मसूर का समर्थन मूल्य 5100 रुपये प्रति क्विंटल था। अभी मसूर का मार्केट मूल्य करीब 6100 से 6125 रुपये प्रति क्विंटल है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है। कुछ महीने पहले मसूर का मूल्य 7500-8000 रुपये प्रति क्विंटल था।
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