सार
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के उम्मीदवार विनायक राउत को सबसे बड़ा लाभ उद्धव ठाकरे के साथ जुड़े रहने का मिल रहा है, लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी का कारण यह है कि इस बार चुनावी मैदान में तीर-धनुष का निशान उनके पास नहीं है। शिवसेना का यह असली चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे अच्छा को मिला हुआ है
विस्तार
कई दशकों से आज तक रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग क्षेत्र में शिवसेना की पकड़ बरकरार है। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र का गठन 2008 में हुआ था। 2009 में नारायण राणे के पुत्र निलेश राणे ने इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीत अवश्य हासिल की थी, लेकिन इस जीत में भी उनके पूर्व शिव सैनिक पिता नारायण राणे की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। इस लोकसभा चुनाव में खुद नारायण राणे इसी सीट पर भाजपा के उम्मीदवार हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से शिवसेना के उम्मीदवार विनायक राउत ने जीत हासिल की थी। उस समय शिवसेना भाजपा के साथ गठबंधन में थी। इस बार विनायक राउत शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की ओर से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं, लेकिन अब भाजपा उनके साथ नहीं है। यानी रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग में इस बार लड़ाई पूर्व शिव सैनिक नारायण राणे और वर्तमान शिव सैनिक विनायक रावत के बीच है। ऐसे में यहां की जनता किस पर भरोसा जताएगी, यह देखने वाली बात होगी
नारायण राणे को अपने पूर्व शिव सैनिक होने का लाभ मिल रहा है। उनके बेटे निलेश राणे की युवाओं के बीच पकड़ भी उनकी ताकत बन रही है। शिवसेना से टूटकर अलग हुए (अब तकनीकी रूप से असली शिवसेना के प्रमुख) एकनाथ शिंदे के भरोसेमंद उदय सामंत इस समय महाराष्ट्र सरकार में प्रमुख मंत्री हैं। इस क्षेत्र में उनकी जबर्दस्त पकड़ है। उनके भाई किरण जी सामंत इस बार यहां से लोकसभा टिकट की दावेदारी कर रहे थे। लेकिन अंतत: यह सीट महायुती गठबंधन में भाजपा के खाते में गई और टिकट नारायण राणे को मिल गया। टिकट न मिलने की नाराजगी से दूर उदय सामंत और किरण जी सामंत पूरी ताकत के साथ नारायण राणे को जिताने में जुटे हुए हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को साथ देने के बाद विधानसभा चुनावों में किरण सामंत की दावेदारी खुद ब खुद बहुत मजबूत हो जाएगी। नारायण राणे जीते तो भाजपा नेतृत्व के लिए भी किरण सामंत की उपेक्षा करने संभव नहीं होगा। लिहाजा सामंत भाइयों ने नारायण राणे को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सामंत भाइयों के दम पर नारायण राणे भी आत्मविश्वास से लबरेज हैं। वे इस बार इस सीट पर एक तरफा चुनाव होने और बड़ी जीत हासिल करने का दावा कर रहे हैं।
पानी-सड़क सबसे बड़ा मुद्दा
रत्नागिरी में नागपुर एक्सप्रेस-वे पर मोटर मैकेनिक का काम करने वाले प्रसाद सामंत ने अमर उजाला को बताया कि इस लोकसभा क्षेत्र में पीने का पानी सबसे बड़ी समस्या थी। आवागमन के लिए अच्छी सड़कों के न होने से पूरे क्षेत्र का विकास ठहरा हुआ था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पीने के पानी की समस्या दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। अब उन कार्यों का असर दिखने लगा है और उन लोगों की सबसे बड़ी समस्या दूर होती दिख रही है। उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन नागपुर एक्सप्रेस हाईवे ठीक रत्नागिरी के बीच से होकर गुजर रहा है। इससे यहां आवागमन की समस्या भी समाप्त होने की राह पर आगे बढ़ रही है। चूंकि ये दोनों ही कार्य केंद्र की भाजपा सरकार के सहयोग से हो रहा है, मोदी और भाजपा यहां के लोगों की पसंद बन रहे हैं। मोदी सरकार के इन कार्यों के दम पर ही नारायण राणे को यहां से बढ़त हासिल होती दिख रही है, जबकि यह क्षेत्र उनका इलाका नहीं माना जाता।
पानी-सड़क सबसे बड़ा मुद्दा
रत्नागिरी में नागपुर एक्सप्रेस-वे पर मोटर मैकेनिक का काम करने वाले प्रसाद सामंत ने अमर उजाला को बताया कि इस लोकसभा क्षेत्र में पीने का पानी सबसे बड़ी समस्या थी। आवागमन के लिए अच्छी सड़कों के न होने से पूरे क्षेत्र का विकास ठहरा हुआ था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पीने के पानी की समस्या दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। अब उन कार्यों का असर दिखने लगा है और उन लोगों की सबसे बड़ी समस्या दूर होती दिख रही है। उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन नागपुर एक्सप्रेस हाईवे ठीक रत्नागिरी के बीच से होकर गुजर रहा है। इससे यहां आवागमन की समस्या भी समाप्त होने की राह पर आगे बढ़ रही है। चूंकि ये दोनों ही कार्य केंद्र की भाजपा सरकार के सहयोग से हो रहा है, मोदी और भाजपा यहां के लोगों की पसंद बन रहे हैं। मोदी सरकार के इन कार्यों के दम पर ही नारायण राणे को यहां से बढ़त हासिल होती दिख रही है, जबकि यह क्षेत्र उनका इलाका नहीं माना जाता।
शिव ओम सोसाइटी के अध्यक्ष मारुति शिवराम शिंदे का कहना है कि नागपुर एक्सप्रेस हाईवे गुजरने से इस क्षेत्र में पर्यटन का तेज विकास होने की उम्मीद है। इसका फायदा अंततः रत्नागिरी के लोगों को ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीदें बढ़ गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय पूरे देश के साथ-साथ रत्नागिरी में भी वोटिंग करने के मामले में सबसे बड़े मुद्दों में शामिल हैं। भाजपा उम्मीदवार नारायण राणे को इसका लाभ मिल सकता है
बाला साहेब ठाकरे का लाभ
एक जनरल स्टोर चलाने वाले युवा आकाश का कहना है कि रत्नागिरी से शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रत्याशी विनायक राउत एक बार फिर से जीत हासिल कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रत्नागिरी की जनता आज भी बाला साहब ठाकरे के करिश्मे से बाहर नहीं निकल पाई है। उनके प्रति लोगों में प्यार और संवेदना अभी भी बनी हुई है। विनायक राउत जिस तरह से विपरीत परिस्थितियों में भी उद्धव ठाकरे के साथ डटकर खड़े रहे हैं, जनता के बीच उनकी छवि मजबूत हुई है और उन्हें इसका लाभ मिल सकता है। भावनात्मक रूप से जो लोग बाला साहब ठाकरे को आज भी अपना आदर्श मानते हैं, वे विनायक रावत को ही वोट करेंगे।
युवा आकाश का कहना है कि रोजगार इस क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा है। युवा वोट करते समय इस मुद्दे को अवश्य ही ध्यान में रखेंगे, लेकिन नागपुर एक्सप्रेस हाईवे बनने और रत्नागिरी में पर्यटन क्षेत्र का विकास होने से युवाओं को इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की उम्मीद है। यही कारण है कि कुछ युवा भाजपा को भी पसंद कर रहे हैं।
भाजपा के कार्यकर्ता रूपेश तावड़े भाजपा उम्मीदवार नारायण राणे का पर्चा लोगों को बांटते हुए मिल गए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में केवल मोदी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। उदय सामंत और किरण जी सामंत लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। वे सीधे तौर पर लोगों से जुड़े हुए हैं और जनता के सीधे तौर पर काम करते हैं। उन्हें इसका लाभ मिलेगा और भाजपा उम्मीदवार नारायण राणे यहां से बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रहेंगे।
तीर-धनुष न होने से बड़ा नुकसान
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के उम्मीदवार विनायक राउत को सबसे बड़ा लाभ उद्धव ठाकरे के साथ जुड़े रहने का मिल रहा है, लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी का कारण यह है कि इस बार चुनावी मैदान में तीर-धनुष का निशान उनके पास नहीं है। शिवसेना का यह असली चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे अच्छा को मिला हुआ है। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के ग्रामीण इलाकों में आज भी बहुत बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं, जो न तो उम्मीदवार को पहचानते हैं और न ही किसी चुनावी दांव-पेंच से प्रभावित होते हैं। बालासाहेब ठाकरे के समय का तीर-धनुष चुनाव चिन्ह ही उनके लिए मतदान करने का सबसे बड़ा कारण होता है। ऐसे मतदाता इस बार जब पुलिंग बूथ पर जाएंगे, तब उन्हें तीर-धनुष का निशान नहीं मिलेगा। ऐसे में उनका वोट कहां जाएगा, यह एक सोचने का विषय हो सकता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि विनायक राउत के पास तीर-धनुष चुनाव चिन्ह न होने का बड़ा नुकसान हो सकता है।
एक जनरल स्टोर चलाने वाले युवा आकाश का कहना है कि रत्नागिरी से शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रत्याशी विनायक राउत एक बार फिर से जीत हासिल कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रत्नागिरी की जनता आज भी बाला साहब ठाकरे के करिश्मे से बाहर नहीं निकल पाई है। उनके प्रति लोगों में प्यार और संवेदना अभी भी बनी हुई है। विनायक राउत जिस तरह से विपरीत परिस्थितियों में भी उद्धव ठाकरे के साथ डटकर खड़े रहे हैं, जनता के बीच उनकी छवि मजबूत हुई है और उन्हें इसका लाभ मिल सकता है। भावनात्मक रूप से जो लोग बाला साहब ठाकरे को आज भी अपना आदर्श मानते हैं, वे विनायक रावत को ही वोट करेंगे।
युवा आकाश का कहना है कि रोजगार इस क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा है। युवा वोट करते समय इस मुद्दे को अवश्य ही ध्यान में रखेंगे, लेकिन नागपुर एक्सप्रेस हाईवे बनने और रत्नागिरी में पर्यटन क्षेत्र का विकास होने से युवाओं को इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की उम्मीद है। यही कारण है कि कुछ युवा भाजपा को भी पसंद कर रहे हैं।
भाजपा के कार्यकर्ता रूपेश तावड़े भाजपा उम्मीदवार नारायण राणे का पर्चा लोगों को बांटते हुए मिल गए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में केवल मोदी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। उदय सामंत और किरण जी सामंत लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। वे सीधे तौर पर लोगों से जुड़े हुए हैं और जनता के सीधे तौर पर काम करते हैं। उन्हें इसका लाभ मिलेगा और भाजपा उम्मीदवार नारायण राणे यहां से बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रहेंगे।
तीर-धनुष न होने से बड़ा नुकसान
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के उम्मीदवार विनायक राउत को सबसे बड़ा लाभ उद्धव ठाकरे के साथ जुड़े रहने का मिल रहा है, लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी का कारण यह है कि इस बार चुनावी मैदान में तीर-धनुष का निशान उनके पास नहीं है। शिवसेना का यह असली चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे अच्छा को मिला हुआ है। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के ग्रामीण इलाकों में आज भी बहुत बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं, जो न तो उम्मीदवार को पहचानते हैं और न ही किसी चुनावी दांव-पेंच से प्रभावित होते हैं। बालासाहेब ठाकरे के समय का तीर-धनुष चुनाव चिन्ह ही उनके लिए मतदान करने का सबसे बड़ा कारण होता है। ऐसे मतदाता इस बार जब पुलिंग बूथ पर जाएंगे, तब उन्हें तीर-धनुष का निशान नहीं मिलेगा। ऐसे में उनका वोट कहां जाएगा, यह एक सोचने का विषय हो सकता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि विनायक राउत के पास तीर-धनुष चुनाव चिन्ह न होने का बड़ा नुकसान हो सकता है।
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