सार
New Crimes Added In BNS: आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में अब 511 धाराओं के स्थान पर 358 धाराएं रह गई हैं। हालांकि, बीएनएस में मॉब लिंचिंग, घृणित अपराध, आर्थिक अपराध जैसे कई नए अपराध भी जोड़े गए हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में.
विस्तार
देश की आपराधिक न्याय प्रणाली बदल चुकी है। 1 जुलाई से तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम देशभर में लागू हो गए हैं। भारतीय कानून प्रणाली में बदलाव के लिए तीन विधेयक पिछले साल संसद में पेश किए गए थे।
अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन मुख्य आपराधिक कानूनों की जगह अब नए कानून देशभर में प्रभावी हो गए। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव 1860 से चल रही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में किया गया है। आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में कई बदलाव के साथ कई नए अपराध शामिल किए गए हैं। आइये जानते हैं बीएनएस में शामिल किए गए नए जुर्मों के बारे में.
पहले जानते हैं कि तीन नए आपराधिक कानून क्या हैं?
1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। इन कानूनों ने क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम की जगह ली है। 12 दिसंबर, 2023 को इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये पारित हुए। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी। वहीं 24 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे। 1 जुलाई से देशभर में तीन कानून प्रभावी हो गए हैं
1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम हैं। इन कानूनों ने क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम की जगह ली है। 12 दिसंबर, 2023 को इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा और 21 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा से ये पारित हुए। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी। वहीं 24 फरवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे। 1 जुलाई से देशभर में तीन कानून प्रभावी हो गए हैं
आईपीसी की जगह बीएनएस में क्या बदलाव किए हैं?
केंद्रीय गृह मंत्री ने अमित शाह ने 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा में तीन विधेयकों पर चर्चा का जवाब दिया था। गृह मंत्री ने बताया था कि आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में अब 511 धाराओं के स्थान पर 358 धाराएं हैं। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं, 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है, 82 अपराधों में दंड बढ़ाया गया है, 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है, 6 अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा का प्रावधान है और 19 धाराओं को समाप्त किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने अमित शाह ने 20 दिसंबर, 2023 को लोकसभा में तीन विधेयकों पर चर्चा का जवाब दिया था। गृह मंत्री ने बताया था कि आईपीसी की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता में अब 511 धाराओं के स्थान पर 358 धाराएं हैं। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं, 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है, 82 अपराधों में दंड बढ़ाया गया है, 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है, 6 अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा का प्रावधान है और 19 धाराओं को समाप्त किया गया है।
बीएनएस में नए अपराध कौन से हैं?
मॉब लिंचिंग: बीएनएस में मॉब लिंचिंग एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। बीएनएस की धारा 103(2) में प्रावधान है कि जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा।
संगठित अपराध: नए कानून में संगठित अपराध अब एक विशेष अपराध निर्धारित किया गया है। बीएनएस की धारा 111 में संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान किया गया है। यह संगठित अपराध की श्रेणी में अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पना और मानव तस्करी जैसे जुर्म शामिल हैं।
आर्थिक अपराध: भारतीय न्याय संहिता में आर्थिक अपराधों को नए परिभाषा दी गई है। अब धारा 111(1) के तहत आर्थिक अपराधों में विश्वासघात, जालसाजी, जाली काम, बड़े पैमाने पर विपणन धोखाधड़ी, डिजिटल घोटाले और अधिक के किसी भी रूप में मौद्रिक लाभ हासिल करने के लिए किए गए अपराध शामिल हैं।
आतंकवादी कृत्य: आतंकवादी कृत्यों को अब स्पष्ट रूप से अपराध के रूप में शामिल किया गया है। कानून में आतंकी कृत्यों के संबंध में दंड का प्रावधान करने के लिए एक खंड 113 जोड़ा गया है। बीएनएस के अनुसार, आतंकवादी कृत्यों के लिए मृत्युदंड या बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
आतंकवाद-संबंधी कृत्य: नये प्रावधानों में आतंकवादी संगठन का हिस्सा बनना, आतंकवादियों को शरण देना, आतंकवाद के लिए प्रशिक्षण देना और आतंकवादी कृत्यों से हासिल धन का प्रबंधन करना शामिल है। आतंकवाद-संबंधी कृत्य बीएनएस की धारा 113(4) में परिभाषित किया गया है।
सामुदायिक सेवा: सामुदायिक सेवा जैसी अवधारणा जो पहले मौजूद नहीं थी, अब नए कानून में है। छोटी-मोटी चोरी जैसे छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा के बजाय सामुदायिक सेवा की सजा दी जा सकती है। सामुदायिक सेवा का प्रावधान बीएनएस की धारा 4(एफ) में शामिल किया गया है। यह धारा सामुदायिक सेवा सहित अपराधियों के लिए सजा के बारे में बताती है।
मॉब लिंचिंग: बीएनएस में मॉब लिंचिंग एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। बीएनएस की धारा 103(2) में प्रावधान है कि जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा।
संगठित अपराध: नए कानून में संगठित अपराध अब एक विशेष अपराध निर्धारित किया गया है। बीएनएस की धारा 111 में संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान किया गया है। यह संगठित अपराध की श्रेणी में अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि हड़पना और मानव तस्करी जैसे जुर्म शामिल हैं।
आर्थिक अपराध: भारतीय न्याय संहिता में आर्थिक अपराधों को नए परिभाषा दी गई है। अब धारा 111(1) के तहत आर्थिक अपराधों में विश्वासघात, जालसाजी, जाली काम, बड़े पैमाने पर विपणन धोखाधड़ी, डिजिटल घोटाले और अधिक के किसी भी रूप में मौद्रिक लाभ हासिल करने के लिए किए गए अपराध शामिल हैं।
आतंकवादी कृत्य: आतंकवादी कृत्यों को अब स्पष्ट रूप से अपराध के रूप में शामिल किया गया है। कानून में आतंकी कृत्यों के संबंध में दंड का प्रावधान करने के लिए एक खंड 113 जोड़ा गया है। बीएनएस के अनुसार, आतंकवादी कृत्यों के लिए मृत्युदंड या बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
आतंकवाद-संबंधी कृत्य: नये प्रावधानों में आतंकवादी संगठन का हिस्सा बनना, आतंकवादियों को शरण देना, आतंकवाद के लिए प्रशिक्षण देना और आतंकवादी कृत्यों से हासिल धन का प्रबंधन करना शामिल है। आतंकवाद-संबंधी कृत्य बीएनएस की धारा 113(4) में परिभाषित किया गया है।
सामुदायिक सेवा: सामुदायिक सेवा जैसी अवधारणा जो पहले मौजूद नहीं थी, अब नए कानून में है। छोटी-मोटी चोरी जैसे छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा के बजाय सामुदायिक सेवा की सजा दी जा सकती है। सामुदायिक सेवा का प्रावधान बीएनएस की धारा 4(एफ) में शामिल किया गया है। यह धारा सामुदायिक सेवा सहित अपराधियों के लिए सजा के बारे में बताती है।
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