बांग्लादेश में जारी आरक्षण आंदोलन में जारी हिंसा फिलहाल थमती नहीं दिख रही। इसमें शेख हसीना की प्रधानमंत्री की कुर्सी चली गई। विरोध प्रदर्शनों के बाद सोमवार को शेख हसीना ने अपने इस्तीफे की घोषणा की और चुपचाप देश से निकल गईं। फिलहाल वह अभी भारत में हैं। पहले उनके ब्रिटेन जाने की चर्चाएं थीं लेकिन वहां के आव्रजन नियमों के चलते फिलहाल उनकी ये योजना खटाई में पड़ गई है। गौरतलब है कि जब तक शेख हसीना ने देश नहीं छोड़ दिया था तब तक कोई इस बात को सोंच भी नहीं सकता था कि तीन दशक तक मजबूती से देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली पीएम देश से पलायन भी कर सकती हैं।
सोमवार को देश से पलायन करने से पहले रविवार रात और सोमवार सुबह बांग्लादेश में कई नाटकीय घटनाक्रम देखे गए। इसमें जेल में बंद कई नेताओं के जेल से रिहा करने, देश में भीषण हिंसा शामिल हैं। दरअसल, रविवार को ही देश में हालात बेकाबू हो गए थे। उस दिन जारी हिंसा में करीब 100 लोगों की मौत हुई थी। इस बारे में शेख हसीना को भी जानकारी दी गई थी, लेकिन वे अपने रुख से पीछे हटने को तैयार ही नहीं थी। उन्हें लगा की सेना की मदद से आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग कर वे स्थिति को काबू में ले आएंगी, लेकिन उनका अनुमान उलटा साबित हुआ। सेना ने भी उनका साथ छोड़ दिया और स्थिति और जटिल हो गई। इसके बाद ही पूर्व पीएम हसीना ने इस्तीफा देने का मन बना लिया था। इस बारे में शेख हसीना के बेटे सजीब वाजिद ने भी बताया था। उन्होंने कहा कि उनकी मां रविवार को ही इस्तीफा देने का विचार बना रही थीं
क्या थी आखिरी वक्त पर हसीना की योजना?
हालांकि आखिरी वक्त तक शेख हसीना की योजना के बारे में ज्यादातर लोगों को कोई जानकारी नहीं थी। सेना के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पूर्व पीएम ने कब अपने इस्तीफे पर हस्ताक्षर किए और कब वे देश से निकल गईं इस बारे में सिर्फ स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स, प्रेसिडेंट गार्ड और सेना के शीर्ष अधिकारियों को ही मालूम था। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात को बेहद गोपनीय रखा गया था।
दोनों विकल्प चाहती थीं हसीना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आखिरी वक्त तक शेख हसीना सत्ता छोड़ना नहीं चाहती थीं। वे अपने लिए दोनों विकल्प खुले रखना चाहती थीं। पहला यह कि वे देश छोड़कर बाहर चली जाएं और दूसरा यह कि बल प्रयोग के जरिए अपने आखिर तक सत्ता में बनी रहें। हालांकि सेना को हिंसा और उसमें मरने वालों की संख्या में और बढोतरी मंजूर नहीं थी।
हसीना के देश छोड़ने में सेना ने भी की मदद
वहीं, कई रिपोर्ट्स में बांग्लादेश की सेना के अधिकारियों से वार्ता के आधार पर दावा किया गया है कि हसीना को देश से निकालने में सेना ने भी सहयोग किया था। इस बाबत तय योजना के मुताबिक ही गणभवन जाने वाले कई रास्तों पर सुबह से ही पुलिस और सेना के जवानों ने मोर्चा जमा रखा था। ताकि वे सुरक्षित रूप से तेजगांव एयरपोर्ट तक पहुंच सकें। वहीं, सोमवार को ही उनके देश से निकलने से पहले देश में इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया था ताकि उनको लेकर कोई भी जानकारी सोशल मीडिया पर न फैल सके।
देश छोड़ने से पहले सेना और पुलिस अधिकारियों के साथ की बैठक
यह भी सामने आया है कि शेख हसीना ने देश छोड़ने से पहले सोमवार को सेना और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें उन्हें बताया गया था कि स्थिति अब बेकाबू हो गई है। आंदोलनकारी गणभवन का रुख कर सकते हैं, और उन्हें रोकना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में अगर वे गणभवन (शेख हसीना का निवास) तक पहुंच गए तो उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा। ऐसे में उनके लिए देश छोड़ना ही बेहतर विकल्प था। वहीं, अधिकारियों ने यह भी बताया कि देश के बाहर निकलने के बाद उनके अगले ठिकाने को लेकर भारत से पहले ही बात हो चुकी थी। जिसमें भारत ने कहा था कि अगर वे अगरतला तक आ जाती हैं तो उन्हें दिल्ली लाया जाएगा।