सार
Anura Kumara Dissanayake: श्रीलंका में मार्क्सवादी सांसद अनुरा कुमारा दिसानायके को राष्ट्रपति चुना गया है। उन्हें चीन का बेहद करीबी माना जाता है। हालांकि, दिसानायके ने हालिया साक्षात्कारों में कहा है कि उनकी पार्टी जेवीपी का इरादा श्रीलंका-भारत के बीच दीर्घकालिक द्विपक्षीय और राजनयिक संबंधों को मजबूत करना है।
विस्तार
पड़ोसी देश श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ गए हैं। इस चुनाव में मार्क्सवादी अनुरा कुमारा दिसानायके को जीत मिली है। अनुरा ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है। इस चुनाव में मार्क्सवादी नेता ने खुद को युवा मतदाताओं और पारंपरिक राजनेताओं की 'भ्रष्ट राजनीति' से थक चुके लोगों के सामने एक परिवर्तनकारी नेता के रूप में पेश किया। वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और अब श्रीलंका में नेतृत्व के शिखर पर पहुंचे हैं।
आइये जानते हैं श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में क्या हुआ है? चुनाव जीतने वाले मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके का सियासी सफर कैसा रहा है? उनके सामने क्या चुनौतियां होंगी? श्रीलंका में चुनाव नतीजे के मायने भारत के लिए क्या हैं?
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में क्या हुआ है?
रविवार को श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित किए गए। चुनाव आयोग ने मार्क्सवादी सांसद अनुरा कुमारा दिसानायके को राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया। मतदाताओं ने पारंपरिक राजनेताओं को खारिज कर दिया, जिन पर देश को आर्थिक बर्बादी की ओर धकेलने का व्यापक आरोप लगाया गया है।
एकेडी के नाम से लोकप्रिय दिसानायके को 56 लाख या 42.3% वोट मिले, जो 2019 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें मिले 3% से काफी अधिक है। प्रेमदासा 32.8% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में शीर्ष दो उम्मीदवार विजेता घोषित होने के लिए जरूरी 50% वोट हासिल नहीं कर सके। देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि राष्ट्रपति चुनाव का निर्णय दूसरी वरीयता के वोटों की मतगणना से हुआ।
श्रीलंकाई चुनावी प्रणाली के तहत, मतदाता अपने चुने हुए उम्मीदवारों के लिए तीन वरीयता वोट डालते हैं। यदि पहली गिनती में कोई भी उम्मीदवार 50% मत नहीं पाता है, तो दूसरी गिनती में डाले गए वरीयता वोटों का उपयोग करके शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच विजेता तय किया जाता है। चुनाव आयोग के अनुसार, 1.7 करोड़ पात्र मतदाताओं में से लगभग 75% ने अपने मताधिकार का
इस्तेमाल किया।
दिसानायके ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली ली है। दिसानायके को सोमवार को राष्ट्रपति सचिवालय में मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई।
रविवार को श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित किए गए। चुनाव आयोग ने मार्क्सवादी सांसद अनुरा कुमारा दिसानायके को राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया। मतदाताओं ने पारंपरिक राजनेताओं को खारिज कर दिया, जिन पर देश को आर्थिक बर्बादी की ओर धकेलने का व्यापक आरोप लगाया गया है।
एकेडी के नाम से लोकप्रिय दिसानायके को 56 लाख या 42.3% वोट मिले, जो 2019 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें मिले 3% से काफी अधिक है। प्रेमदासा 32.8% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में शीर्ष दो उम्मीदवार विजेता घोषित होने के लिए जरूरी 50% वोट हासिल नहीं कर सके। देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि राष्ट्रपति चुनाव का निर्णय दूसरी वरीयता के वोटों की मतगणना से हुआ।
श्रीलंकाई चुनावी प्रणाली के तहत, मतदाता अपने चुने हुए उम्मीदवारों के लिए तीन वरीयता वोट डालते हैं। यदि पहली गिनती में कोई भी उम्मीदवार 50% मत नहीं पाता है, तो दूसरी गिनती में डाले गए वरीयता वोटों का उपयोग करके शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच विजेता तय किया जाता है। चुनाव आयोग के अनुसार, 1.7 करोड़ पात्र मतदाताओं में से लगभग 75% ने अपने मताधिकार का
इस्तेमाल किया।
दिसानायके ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली ली है। दिसानायके को सोमवार को राष्ट्रपति सचिवालय में मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई।
दिसानायके का सियासी सफर कैसा रहा है?
श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने वाले अनुरा कुमार दिसानायके का राजनीतिक सफर साधारण परिवार से होते हुए शिखर तक पहुंचा है। उन्हें चीन का बेहद करीबी माना जाता है। उन्होंने हमेशा मार्क्सवादी विचारधारा को आगे रखते हुए देश में बदलाव की बात कही है। राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार में भी दिसानायके ने ज्यादातर छात्रों और मजदूरों के मुद्दे का जिक्र किया। उन्होंने श्रीलंका के लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव के वादे किए, जिसका नतीजा उन्हें जीत के रूप में मिला।
दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 में श्रीलंका के अनुराधापुरा जिले के थंबूथेगामा गांव में हुआ है। जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) अनुरा की राजनीतिक पार्टी है। छात्र जीवन से ही अनुरा इस पार्टी से जुड़ गए थे। 1987 में वह पार्टी की पूर्णकालिक सदस्यता ली थी। अनुरा के पिता मजदूर थे। दिसानायके 1995 में सोशलिस्ट स्टूडेंट्स एसोसिएशन का राष्ट्रीय आयोजक बन गए थे। इसके बाद उन्हें जीवीपी की केंद्रीय कार्य समिति में जगह भी मिल गई
श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने वाले अनुरा कुमार दिसानायके का राजनीतिक सफर साधारण परिवार से होते हुए शिखर तक पहुंचा है। उन्हें चीन का बेहद करीबी माना जाता है। उन्होंने हमेशा मार्क्सवादी विचारधारा को आगे रखते हुए देश में बदलाव की बात कही है। राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार में भी दिसानायके ने ज्यादातर छात्रों और मजदूरों के मुद्दे का जिक्र किया। उन्होंने श्रीलंका के लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव के वादे किए, जिसका नतीजा उन्हें जीत के रूप में मिला।
दिसानायके का जन्म 24 नवंबर 1968 में श्रीलंका के अनुराधापुरा जिले के थंबूथेगामा गांव में हुआ है। जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) अनुरा की राजनीतिक पार्टी है। छात्र जीवन से ही अनुरा इस पार्टी से जुड़ गए थे। 1987 में वह पार्टी की पूर्णकालिक सदस्यता ली थी। अनुरा के पिता मजदूर थे। दिसानायके 1995 में सोशलिस्ट स्टूडेंट्स एसोसिएशन का राष्ट्रीय आयोजक बन गए थे। इसके बाद उन्हें जीवीपी की केंद्रीय कार्य समिति में जगह भी मिल गई

अनुरा कुमारा दिसानायके - फोटो : एएनआई

अनुरा कुमारा दिसानायके - फोटो : PTI

अनुरा कुमार दिसानायके - फोटो : एएनआई
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