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Tirupati Prasadam Row: राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी बोले- यह सनातन पर हमला है, सरकार मामले को गंभीरता से ले

 सार

तिरुपति बालाजी मंदिर में बंटने वाले प्रसाद के लड्डू पहली बार विवाद में नहीं आए हैं। इनकी गुणवत्ता पर करीब चार दशक से सवाल उठते रहे हैं। अमर उजाला में 8 सितंबर 1985 को 'तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लड्डू अब वैज्ञानिक पद्धति से बनाए जाएंगे' शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी




विस्तार

आंध्र प्रदेश में भगवान तिरुपति के प्रसाद में चर्बी मिलने के मामले में राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की प्रतिक्रिया सामने आई है। आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जो जांच की गई उससे साफ है कि मछली का तेल मिलाया गया था। यह कब से हो रहा है ये अभी तक पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि यह एक साजिश है और इस मामले को सनातन धर्म पर हमला करार दिया है। साथ ही उन्होंने सरकार को मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कराने की मांग की है

लैब की रिपोर्ट में, प्रसाद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल पाया गया है। प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने पर टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमन रेड्डी ने प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा, "चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि घी तैयार करने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है।

गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को परीक्षण के लिए भेजे गए नमूनों की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की गई है कि कि घी की तैयारी में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया था। यह हिंदू धर्म का अपमान है। भगवान को दिन में तीन बार चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में इस घी का इस्तेमाल किया गया था। हमें उम्मीद है कि न्याय होगा और भगवान हमें माफ कर देंगे।"

घी की जांच रिपोर्ट में इन पदार्थों के मिलावट की पुष्टि-
लार्ड और मछली के तेल
जानवरों की चर्बी
पशु वसा

लड्डू की गुणवत्ता पर चार दशक से है विवाद
तिरुपति बालाजी मंदिर में बंटने वाले प्रसाद के लड्डू पहली बार विवाद में नहीं आए हैं। इनकी गुणवत्ता पर करीब चार दशक से सवाल उठते रहे हैं। अमर उजाला में 8 सितंबर 1985 को 'तिरुपति मंदिर के प्रसाद के लड्डू अब वैज्ञानिक पद्धति से बनाए जाएंगे' शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। 

अमर उजाला की खबर के मुताबिक, तिरुपति के लड्डू की गुणवत्ता पर विवाद खड़ा होने के बाद फैसला लिया गया कि अब इन्हें केंद्रीय तकनीकी अनुसंधान संस्थान की देखरेख में बनाया जाएगा। संस्थान लड्डुओं को तैयार कराने में 1979 से मदद   कर रहा था। लेकिन, ये पहला मौका था जब संस्थान को इनकी गुणवत्ता परखेगा का निर्देश भी दिया गया। 

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