सार
नक्सली संगठन- माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को खत्म करने के लिए बिहार के दो जिलों में एक के बाद एक रणवीर सेना ने दो नरसंहारों को अंजाम दिया। पहला- 1996 में भोजपुर में हुआ बथानी टोला नरसंहार और दूसरा 1997 में जहानाबाद में अंजाम दिया गया लक्ष्मणपुर बाथे हत्याकांड। इसी कड़ी में अगला निशाना था- जहानाबाद का शंकरपुर बिगहा गांव, जहां 25 जनवरी 1999 का दिन खौफ का दिन साबित हुआ।
विस्तार
बिहार में जातियों के बीच तनाव के हिंसा में बदलने का इतिहास आजादी से भी पहले का रहा है। हालांकि, 1970 के दशक और उसके बाद जातीय हिंसा की घटनाएं बर्बर होने लगीं। 1990 के दशक के मध्य का दौर ऐसा था जब उच्च जातियों के संगठन रणवीर सेना और दलित व पिछड़ी जातियों के बीच का संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया। इसी दौर में भोजपुर में हुआ बथानी टोला नरसंहार और जहानाबाद में हुआ लक्ष्मणपुर बाथे हत्याकांड सबसे चर्चित रहा। जहानाबाद का शंकरपुर बिगहा हत्याकांड भी इसमें शामिल था। 25 जनवरी 1999 को इस खौफनाक घटना को जहानाबद जिले के शंकरपुर बिगहा गांव में अंजाम दिया गया था।
बिहार चुनाव से जुड़ी हमारी खास पेशकश ‘बिहार के महाकांड’ सीरीज के पांचवें भाग में आज इसी शंकरपुर बिगहा नरसंहार की कहानी।
शंकरपुर बिगहा में हुआ क्या था?
प्रकाश लुइस के इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली में लिखे लेख शंकरबिगहा रिविजेटेड में बताया है कि...
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