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Israel vs. Iran: मोसाद ने कैसे ईरान में बनाया ड्रोन का बेस, कहां किए हमले; किन सैन्य अफसरों को मारा, वजह क्या?

 सार

इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान पर यह हमला उसे ऑपरेशन राइजिंग लॉयन (उभरता शेर अभियान) का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ईरान, इस्राइल के अस्तित्व के लिए खतरा है। ईरान की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इस्राइल के इस हमले में रेवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख हुसैन सलामी का निधन हो गया। इसके अलावा तेहरान में कई रिहायशी इमारतों को भी निशाना बनाया गया। हमले में मारे जाने वालों में कई बच्चे भी शामिल हैं।




विस्तार

पश्चिम एशिया में बीते करीब दो साल से लगातार संघर्ष की स्थिति जारी है। फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास की तरफ से अक्तूबर 2023 में किए गए हमले के जवाब में इस्राइल ने अब तक गाजा पट्टी से लेकर लेबनान और यमन तक को निशाना बनाया है। अब पश्चिम एशिया में जारी इस संघर्ष में नया आयाम जुड़ गया है। दरअसल, इस्राइल ने शुक्रवार 13 जून की अल-सुबह ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इस्राइल ने कहा कि वह अपने खिलाफ खड़े होने वाले खतरों को हटाने के लिए सैन्य कार्रवाई जारी रखेगा। बताया गया है कि इस्राइल की तरफ से ड्रोन्स के जरिए किया गया यह हमला ईरान की राजधानी तेहरान तक को दहला गया और एक परमाणु संवर्धन केंद्र तक में धमाके की बात सामने आई है।

इस बीच इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान पर यह हमला उसे ऑपरेशन राइजिंग लॉयन (उभरता शेर अभियान) का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ईरान, इस्राइल के अस्तित्व के लिए खतरा है। ईरान की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इस्राइल के इस हमले में रेवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख हुसैन सलामी का निधन हो गया। इसके अलावा तेहरान में कई रिहायशी इमारतों को भी निशाना बनाया गया। हमले में मारे जाने वालों में कई बच्चे भी शामिल हैं। 

इस्राइल की तरफ से ईरान पर किए गए इस हमले को लेकर अभी भी कई परतें नहीं खुली हैं। मसलन- इस्राइल ने क्यों और कैसे बनाई इस पूरे हमले की योजना? उसने इसे अंजाम कैसे दिया? इस्राइल ने ईरान के किन-किन ठिकानों को हमले के लिए चुना और इसकी वजह क्या रही? इसके अलावा हमले में ईरान के किन-किन शीर्ष सैन्य अफसरों को मार गिराया गया और इन्हें निशाना बनाए जाने का क्या कारण था? आइये जानते हैं.

इस्राइल ने क्यों बनाई ईरान पर हमले की योजना?
ईरान बीते काफी समय से अपने परमाणु संवर्धन और परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के निर्माण कार्यक्रम पर जोर दे रहा है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कुछ समय पहले ही दावा किया था कि ईरान के पास नौ परमाणु बम बनाने लायक संवर्धित यूरेनियम इकट्ठा हो चुका है। 

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था- अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया था कि ईरान के पास करीब 408 किलोग्राम यूरेनियम 60 फीसदी तक संवर्धित (एनरिच्ड) है। इसके अलावा 133 किलो यूरेनियम 50 फीसदी तक संवर्धित है। आईएईए ने कहा था कि ईरान ने बीते वर्षों में अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से बढ़ाया है। गौरतलब है कि यूरेनियम को 90 फीसदी तक संवर्धित कर के परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं। 

इस्राइल और ईरान बीते कई वर्षों से आमने-सामने हैं। जहां ईरान इस्लामिक देशों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए इस्राइल को निशाने पर लेता रहा है और उसके खिलाफ फलस्तीन में हमास, यमन में हूती और लेबनान में हिज्बुल्ला को समर्थन देता रहा है। जवाब में इस्राइल भी ईरान को अलग-अलग समय में निशाना बनाता रहा है और परमाणु कार्यक्रम पर काम कर रहे उसके वैज्ञानिकों से लेकर सैन्य प्रमुखों तक पर हमले बोले हैं। 

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के इस कार्यक्रम को रोकने के लिए कुछ महीने पहले ही परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए उसके साथ बातचीत की पेशकश की थी। ईरान ने इसे स्वीकारते हुए अप्रैल में कुछ मांगों के साथ इस चर्चा में अपना पक्ष भी रखा। हालांकि, दोनों ही पक्ष अब तक समझौते को लेकर एकमत नहीं हुए। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से समझौते को लेकर जो दो महीने की समयसीमा तय की गई थी, वह भी खत्म होने वाली है। 

ट्रंप ने ईरान से उसके परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत शुरू होने के बाद कई मौकों पर धमकाते हुए कहा है कि अगर बातचीत सफल नहीं होती तो इसका विकल्प सिर्फ एक संघर्ष होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति यह भी कह चुके हैं कि समझौता न होने की सूरत में इस्राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने की तैयारी कर ली है। 

अब जानें- इस्राइल में कैसे बनी ईरान पर हमले की योजना?
रिपोर्ट्स की मानें तो इस्राइल ने इस पूरे हमले की तैयारी कई वर्षों पहले शुरू कर दी थी। हालांकि, इसे लेकर ताजा बैठक गुरुवार को बेहद गुपचुप तरीके से हुई। दरअसल, गुरुवार रात को सुरक्षा कैबिनेट की जो बैठक बुलाई गई, उसमें गाजा में कैद इस्राइली नागरिकों को छुड़ाने पर चर्चा की जानी थी। यहां तक कि मंत्रियों को भी मीटिंग का यही एजेंडा बताया गया। 

सिर्फ प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, इस्राइल की खुफिया एजेंसी- मोसाद के प्रमुख डेविड बार्निया और कूटनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डेर्मर को ही ईरान पर हमले की असल योजना की जानकारी थी। ऐसे में जब सभी मंत्री जब गाजा में फंसे नागरिकों को छुड़ाने पर चर्चा के लिए जुटे, तो उन्हें ईरान के खिलाफ अभियान की जानकारी दी गई। कई मंत्रियों के लिए यह जानकारी चौंकाने वाली थी। हालांकि, इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। साथ ही इसका खुलासा न करने का भी समझौता हुआ। 

इसी के साथ इस्राइल में झूठी खबरें प्रसारित की गईं कि नेतन्याहू अगले हफ्ते अपने परिवार के साथ गैलीली में बेटे की शादी में हिस्सा लेने जा सकते हैं। इसे लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से एक बयान भी जारी किया गया और कहा गया कि मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया और कूटनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डेर्मर भी ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मिलने के लिए अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे हैं। इस दौरान नेतन्याहू ने उस रिपोर्ट को भी खारिज नहीं किया, जिसमें कहा गया था कि ईरान पर हमले को लेकर उनके और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच सहमति नहीं है।

क्या थी ईरान के खिलाफ इस्राइल की योजना?
इस्राइल के मुताबिक, ईरान पर हमले की यह योजना कई साल से बनाई जा रही थी। इसे बनाने के लिए इस्राइली सेना और मोसाद लगातार साथ काम कर रही थीं। इस योजना के तहत...
  1. मोसाद ने ईरान के अंदर ही ड्रोन्स को लॉन्च करने के लिए बेस का निर्माण किया और देश के अंदर अपने हथियार और कमांडो पहुंचाए। 
  2. मोसाद ने ईरान में अपनी क्षमता को परखने के लिए कई ऐसे अभियान भी चलाए, जिनसे ईरान को भारी नुकसान पहुंचाया गया।
  3. इस्राइली जासूसों ने ईरान की जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल लॉन्चरों के पास उच्च-तकनीक वाले गाइडेड हथियार भी तैनात कर दिए।
  4. इसके अलावा मोसाद ने ईरान के रक्षा ठिकानों के आसपास खुले इलाकों और नागरिक वाहनों में भी अपने कुछ ड्रोन्स छिपा दिए। 
  5. जब इस्राइल ने ईरान पर एयरस्ट्राइक के जरिए ईरान को निशाना बनाया तब छिपाए गए इस्राइली हथियारों और ड्रोन्स ने ईरानी हवाई रक्षा प्रणाली पर हमला बोल दिया। 
  6. इससे इस्राइल के फाइटर जेट्स के लिए आगे का रास्ता साफ हो गया और ईरान के परमाणु ठिकानों के साथ-साथ उसके सैन्य ठिकानों पर भी अचूक निशाने लगाए गए।

इस्राइल के एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इस्राइल अखबार को बताया कि इस योजना को बनाने में एक साल से भी ज्यादा का समय लग गया। यह योजना पहले अप्रैल में अंजाम दी जानी थी। हालांकि, बाद में इसे टाल दिया गया। नाम न उजागर करने की शर्त पर इस अफसर ने कहा कि इस्राइल की स्पेशल फोर्सेज और जासूस लगातार ईरान के अंदर रहकर ही अभियान चला रहे हैं और ईरानी शासन को इसकी खबर तक नहीं है। बताया गया है कि ईरान से कुछ वीडियोज भी सामने आए हैं, जिनमें इस्राइली एजेंट्स को उसकी बैलिस्टिक मिसाइलों और हवाई रक्षा उपकरणों को निशाना बनाते देखा जा सकता है।

इस्राइल के हमलों का ईरान पर कितना असर?
इस्राइली हमले में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स यानी IRGC के कमांडर हुसैन सलामी की मौत हुई है। सलामी IRGC मुख्यालय पर हुए हमले में मारे गए। वह ईरान के सबसे प्रभावशाली सैन्य अधिकारियों में से एक थे और 2019 से IRGC के प्रमुख पद पर थे। उन्हें कट्टर और आक्रामक रणनीति के लिए जाना जाता था। ईरान का रिवॉल्यूशनरी गार्ड देश के भीतर मुख्य शक्ति केंद्रों में से एक है। यह ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों के शस्त्रागार को भी नियंत्रित करता है। इसके अलावा इन हमलों में ईरान के छह वैज्ञानिकों के भी मारे जाने की खबर है। इस्राइल ने ईरान के सैन्य प्रमुख मोहम्मद बाघेरी के भी मारे जाने का दावा किया है।

ईरान पर इस्राइल की एयर स्ट्राइक में ईरान के 20 टॉप कमांडरों के मारे जाने की खबर है। इनमें आर्मी और एयरफोर्स चीफ भी शामिल हैं। इस्राइल ने शुक्रवार सुबह 200 फाइटर जेट्स से 6 ठिकानों पर हमला किया। इन हमलों में ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया।  इसके जवाब में ईरान ने दोपहर में इस्राइल पर जवाबी हमले किए। ईरान ने 100 से ज्यादा ड्रोन दागे। वहीं, देर रात ईरान की तरफ से कम से कम 150 बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए हमला किया गया, जिससे तेल अवीव और येरुशलम में कई जगहों को नुकसान पहुंचा है। कई लोगों के हताहत होने की भी खबरें हैं। 

इस्राइल ने पहली बार नहीं लगाई ईरान की सुरक्षा में सेंध
ये पहला मौका नहीं है जब इस्राइल ने ईरान की सुरक्षा में सेंध लगाई है। इससे पहले जुलाई 2024 में हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या कर दी गई थी। इस्माइल हानिया की हत्या का आरोप इस्राइल पर लगा था। हानिया की हत्या के पांच महीने बाद इस्राइल ने हानिया को मारने की बात कबूल की थी। हानिया की हत्या एक कम दूरी के प्रक्षेप्य से की गई।  हानिया उस वक्त ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तेहरान आया था।

कभी दोस्त थे ईरान और इस्राइल
आज ईरान और इस्राइल भले ही आमने-सामने हैं लेकिन ये कभी दोस्त हुआ करते थे। इनके रिश्तों में खटास की वजह ईरान की क्रांति को माना जाता है। दरअसल 1948 में जब इस्राइल अस्तिव में आया तो ईरान उसे देश के रूप में मान्यता देने वाला दूसरा मुस्लिम बहुल देश बना था।   उस वक्त ईरान में पहलवी राजवंश का शासन था। इस राजवंश ने आधी सदी से अधिक समय तक शासन किया गया था। पहलवी राजवंश अमेरिका का समर्थक था जबकि इस्राइल अमेरिका का समर्थन करता था। । ईरान की 1979 में हुई इस्लामी क्रांति ने दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास ला दी। नई ईरानी सत्ता ने अमेरिका को ईरान में 'महान शैतान' और इस्राइल को 'छोटा शैतान' की संज्ञा दे दी। क्रांति के बाद ईरान ने इस्राइल के साथ सभी संबंध तोड़ दिए। इसके बाद दोनों बीच की दुश्मनी बढ़ती चली गई।

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