सार
कांग्रेस का गढ़ रहे पटियाला में परनीत के भाजपा में जाने से कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। 1952 से पटियाला लोकसभा सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक 11 बार कांग्रेस अपनी जीत का परचम फहरा चुकी है
विस्तार
पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के कारण पंजाब की राजनीति की धुरी रहा पटियाला अब तक कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन अब कैप्टन की पत्नी व सांसद परनीत कौर के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है। प्रबल संभावना है कि उन्हें भाजपा की तरफ से पटियाला से मैदान में उतारा जाएगा
इससे पटियाला सीट से इस बार चुनावी समीकरण बदलते दिख रहे हैं। इसका चुनाव के नतीजों पर कितना असर पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस को इस बार मोती महल से अलगाव के बाद पटियाला से अपना किला बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
पहले तो कांग्रेस के लिए पटियाला से एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश ही बड़ा काम रहेगा। इसके बाद कांग्रेस के लिए जीत की राह भी पहले की तरह आसान नहीं रह सकती है, क्योंकि कैप्टन का परिवार पटियाला सीट का प्रतिनिधितत्व 1998 से कर रहा है। ऐसे में शाही परिवार पटियाला के लोगों में खासा प्रभाव रखता है।
परनीत के सहारे भाजपा जहां पटियाला में पहली बार जीत दर्ज कराके कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाना चाहेगा। भाजपा 2024 में 400 पार के मिशन में है और इसके लिए पार्टी हर राज्य में अच्छे नतीजे प्राप्त करने के प्रयास कर रही है। वहीं कांग्रेस भी अपने गढ़ को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगी। उधर, सत्ताधारी आप भी पटियाला में जीत का परचम फहराने की पूरी कोशिश में रहेगा।
पहले तो कांग्रेस के लिए पटियाला से एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश ही बड़ा काम रहेगा। इसके बाद कांग्रेस के लिए जीत की राह भी पहले की तरह आसान नहीं रह सकती है, क्योंकि कैप्टन का परिवार पटियाला सीट का प्रतिनिधितत्व 1998 से कर रहा है। ऐसे में शाही परिवार पटियाला के लोगों में खासा प्रभाव रखता है।
परनीत के सहारे भाजपा जहां पटियाला में पहली बार जीत दर्ज कराके कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाना चाहेगा। भाजपा 2024 में 400 पार के मिशन में है और इसके लिए पार्टी हर राज्य में अच्छे नतीजे प्राप्त करने के प्रयास कर रही है। वहीं कांग्रेस भी अपने गढ़ को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगी। उधर, सत्ताधारी आप भी पटियाला में जीत का परचम फहराने की पूरी कोशिश में रहेगा।
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राजनीति