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हरियाणा में तीन बार शून्य पर सिमटी कांग्रेस: 14 बार हुए लोकसभा चुनाव, उतार-चढ़ाव भरा रहा 'हाथ' का राजनीतिक सफर

 सार

हरियाणा में कांग्रेस तीन बार शून्य पर सिमट गई। हरियाणा गठन के बाद 14 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में सभी 10 सीटें जीती थीं। 




विस्तार

हरियाणा गठन के बाद प्रदेश में अब तक 14 बार हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। हरियाणा में कभी अर्श पर रही कांग्रेस पार्टी को मतदाताओं ने फर्श पर भी पहुंचाया है। तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदेश में खाता भी नहीं खुल पाया। हालांकि एक बार 1984 में कांग्रेस ने सभी दस सीटों पर कब्जा भी जमाया था। 

पंजाब से अलग होने के बाद एक नवंबर 1966 को हरियाणा का गठन हुआ। इमरजेंसी हटने के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। यह पहली बार था जब हरियाणा में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। 


इमरजेंसी का आक्रोश मतदाताओं ने कांग्रेस के खिलाफ वोट देकर निकाला और सभी दस सीटें भारतीय लोकदल (बीएलडी) की झोली में डाल दीं। बीएलडी की स्थापना चौधरी चरण सिंह ने की थी, लेकिन हरियाणा में इसकी कमान चौधरी देवीलाल के हाथ में थी। 

1999 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस हरियाणा में खाता नहीं खोल पायी। कारगिल युद्ध के बाद हुए चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी की लहर चल रही थी। इस चुनाव में भाजपा और इनेलो गठबंधन ने पांच-पांच लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। 2014 की मोदी लहर में भी एक सीट बचा लेने वाली कांग्रेस 2019 के चुनाव में एक भी सीट नहीं बचा पायी। 

10 सीटें लेकर भी 5 साल नहीं निकाल पाई...उपचुनाव में चार पर मिली हार
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए आठवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की सभी दसों सीटों पर विजय पताका फहरायी। हालांकि कुछ दिनों बाद ही सिरसा, रोहतक, भिवानी और फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए। 

 

सिरसा व फरीदाबाद में कांग्रेस के लिए चुने गए तत्कालीन सांसदों की मृत्यु होने से सीट खाली हुई थी। रोहतक की सीट सांसद हरद्वारी लाल ने खाली कर दी थी और भिवानी संसदीय क्षेत्र से बंसीलाल ने इस्तीफा दे दिया था। इन सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे चौकाने वाले थे। इन चारों सीटों पर कांग्रेस हार गई।

35 फीसदी मत मिले फिर भी कांग्रेस शून्य रही
1999 के चुनाव में राज्य में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 34.9 फीसदी मत मिले, लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। भाजपा को राज्य में 29.09 फीसदी और इनेलो को 28.7 फीसदी वोट मिले थे

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