सार
पल्लवी पटेल और असदुद्दीन ओवैसी वोटकटवा साबित होंगे। सियासी पंडित भी पीडीए बनाम पीडीएम की लड़ाई में नफा-नुकसान का आकलन करने में जुटे हैं।
विस्तार
पल्लवी पटेल और असदुद्दीन ओवैसी का पिछड़ा-दलित-मुस्लिम (पीडीएम) न्याय मोर्चा चुनाव में क्या गुल खिलाएगा, सियासी पंडितों में भी अब ये सवाल उठने लगे हैं। पर, जिस तरह से ओवैसी सपा पर लगातार मुस्लिमों का शोषण करने और सिर्फ वोट हासिल करने की राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं, उससे साफ है कि सबसे अधिक चुनौती वह अखिलेश यादव के सामने ही खड़ी करने वाले हैं।
लोकसभा चुनाव में ओवैसी फैक्टर इसलिए भी अहम है, क्योंकि सपा के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) का मुकाबला अब पीडीएम से है। अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल की सपा से राहें जुदा हो चुकी हैं। वह, पीडीए की अनदेखी का आरोप लगाते हुए सपा पर हमलावर रही हैं।
वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी सपा पर मुस्लिमों के शोषण का आरोप लगाते रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं के बीच एआईएमआईएम की पैठ लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि अखिलेश यादव ओवैसी को भाजपा की 'बी टीम' बताकर मुस्लिमों के बीच उनके असर को कम करने की कोशिश करते रहे हैं।
2017 का विधानसभा चुनाव एआईएमआईएम के लिए प्रदेश में पहला चुनाव था। पार्टी ने 38 सीटों पर पर उम्मीदवार उतारे थे। सभी सीटों को मिलाकर उसे करीब 2 लाख मत मिले थे। संभल सीट पर ओवैसी की पार्टी को सबसे अधिक 60 हजार वोट मिले थे।
वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी सपा पर मुस्लिमों के शोषण का आरोप लगाते रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं के बीच एआईएमआईएम की पैठ लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि अखिलेश यादव ओवैसी को भाजपा की 'बी टीम' बताकर मुस्लिमों के बीच उनके असर को कम करने की कोशिश करते रहे हैं।
2017 का विधानसभा चुनाव एआईएमआईएम के लिए प्रदेश में पहला चुनाव था। पार्टी ने 38 सीटों पर पर उम्मीदवार उतारे थे। सभी सीटों को मिलाकर उसे करीब 2 लाख मत मिले थे। संभल सीट पर ओवैसी की पार्टी को सबसे अधिक 60 हजार वोट मिले थे।