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Protem Speaker: लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर का चुनाव कैसे करते हैं सांसद? जानिए महताब के नाम पर क्या है विवाद

 सार

प्रोटेम स्पीकर को अस्थायी स्पीकर भी कहते हैं। संविधान में प्रोटेम स्पीकर के पद का जिक्र नहीं है, लेकिन संसदीय मामलों के मंत्रालय की नियमावली में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ का जिक्र है।




विस्तार

भाजपा सांसद भृतहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) बनाया गया है। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को बताया कि सात बार के लोकसभा सदस्य भृतहरि महताब नए सांसदों को शपथ दिलाएंगे और लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक पीठासीन अधिकारी के रूप में काम करेंगे। हालांकि भृतहरि महताब के नाम पर विवाद भी हो गया है और कांग्रेस ने महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाने को लेकर संसदीय मानदंडों का उल्लंघन बताया। इस खबर के बीच स्वभाविक है कि यह सवाल उठे कि प्रोटेम स्पीकर कौन होते हैं, क्या उनके काम होते हैं और उन्हें चुनने की प्रक्रिया क्या है। इस खबर में हमने इन्हीं बुनियादी सवालों के जवाब देने की कोशिश की है और हम ये जानेंगे कि प्रोटेम स्पीकर चुने गए भृतहरि महताब के नाम पर विवाद क्यों हो रहा है

कौन होते हैं प्रोटेम स्पीकर?
लोकसभा का पीठासीन अधिकारी होने के नाते स्पीकर की लोकसभा के संचालन में अहम भूमिका होती है। स्पीकर का चुनाव बहुमत के आधार पर होता है, लेकिन जब तक स्पीकर का चुनाव नहीं होता है, तब तक लोकसभा की अहम जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रोटेम स्पीकर को चुना जाता है। यही वजह है कि प्रोटेम स्पीकर को अस्थायी स्पीकर भी कहते हैं। संविधान में प्रोटेम स्पीकर के पद का जिक्र नहीं है, लेकिन संसदीय मामलों के मंत्रालय की नियमावली में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ का जिक्र है

कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चुनाव?
संसदीय मामलों के मंत्रालय की नियमावली के अनुसार, नई लोकसभा द्वारा जब तक स्पीकर की नियुक्ति नहीं की जाती है, तब तक स्पीकर की जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए राष्ट्रपति सदन के ही किसी सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं। नई लोकसभा के सदस्यों को शपथ ग्रहण कराना प्रोटेम स्पीकर का प्राथमिक काम है। नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा तीन अन्य लोकसभा सांसदों को भी सांसदों को शपथ दिलाने के लिए नियुक्त किया जाता है। सामान्यतः संसद के सबसे वरिष्ठ सांसद को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है, लेकिन अपवाद भी हो सकते हैं। 

राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के तीन अन्य निर्वाचित सदस्यों को भी सांसदों के समक्ष शपथ लेने के लिए नियुक्त किया जाता है। पुस्तिका के अनुसार, सदन की सदस्यता के वर्षों की संख्या के संदर्भ में सबसे वरिष्ठ सदस्यों को आम तौर पर इस उद्देश्य के लिए चुना जाता है, हालांकि अपवाद भी हो सकता है। जैसे ही नई सरकार का गठन होता है, तो उसके बाद सरकार का विधायी विभाग लोकसभा के वरिष्ठ सांसदों की लिस्ट तैयार करता है। इस लिस्ट को संसदीय मामलों के मंत्री या प्रधानमंत्री को भेजा जाता है। प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद प्रोटेम स्पीकर और तीन अन्य सांसदों के नाम संसदीय मामलों के मंत्री राष्ट्रपति को इन नामों की जानकारी देते हैं। वहां से मंजूरी मिलने के बाद नामों का एलान कर दिया जाता है। 

नए सांसद कैसे शपथ लेते हैं?
राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद मंत्रालय नियुक्त किए गए प्रोटेम स्पीकर और अन्य सांसदों के पैनल को नियुक्ति के बारे में सूचित करता है। इसके बाद राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भवन में प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाते हैं। वहीं सांसदों के पैनल को प्रोटेम स्पीकर द्वारा शपथ दिलाई जाती है। इसके बाद अन्य सभी सांसदों को प्रोटेम स्पीकर शपथ दिलाते हैं। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही सांसदों को शपथ दिलाई जाती है।  

क्या है भृतहरि महताब के नाम पर विवाद
जैसे ही संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने भृतहरि महताब के नाम का एलान किया, वैसे ही कांग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस का कहना है कि उनकी पार्टी के आठ बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश सबसे वरिष्ठ सांसद हैं, ऐसे में उन्हें लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए, जबकि महताब सात बार के ही सांसद हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वरिष्ठता की अनदेखी कर भाजपा संसदीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि परंपरा के अनुसार, जिस सांसद ने संसद में अधिकतम कार्यकाल पूरा किया है, उसे प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाना चाहिए। 

कौन हैं भृतहरि महताब
8 सितंबर 1957 को ओडिशा के भद्रक में जन्में भृतहरि महताब, ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री डॉ. एच महताब के बेटे हैं। महताब, नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली पार्टी बीजू जनता दल के संस्थापक सदस्य हैं और कभी वह नवीन पटनायक के बेहद खास हुआ करते थे। महताब छह बार बीजद के टिकट पर ही लोकसभा पहुंचे। हालांकि हालिया लोकसभा चुनाव से पहले भृतहरि महताब ने बीजद छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी और अब वह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं।

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