सार
एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है।
विस्तार
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने वादा किया है कि अगले छह महीने में राज्य में पूर्ण तरीके से शांति बहाल हो जाएगी। साथ ही उन्होंने पद छोड़ने से भी इनकार और कहा कि न तो उन्होंने कोई अपराध किया है और न ही कोई घोटाला किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिश हो रही है और राज्य में अवैध बस्तियां बनाई गई हैं। सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर न आने पर भी सफाई दी।
बातचीत के लिए दूत किया नियुक्त
गुरुवार को एक इंटरव्यू में एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है। कुकी-जो और मैतेई जातीय समूहों के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। एन बीरेन सिंह ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल हो सकता है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बातचीत के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने जिस दूत की नियुक्ति की है, वो नगा विधायक और हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष डिंगंगलुंग गंगमेई हैं।
गुरुवार को एक इंटरव्यू में एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है। कुकी-जो और मैतेई जातीय समूहों के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। एन बीरेन सिंह ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल हो सकता है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बातचीत के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने जिस दूत की नियुक्ति की है, वो नगा विधायक और हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष डिंगंगलुंग गंगमेई हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में शांति के लिए बातचीत के साथ ही गृह मंत्रालय, विभिन्न जांच एजेंसियों के माध्यम से केंद्र सरकार की भागीदारी भी जरूरी होगी। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह लंबा चलेगा। 5-6 महीने में शांति बहाल हो जाएगी। हमें यही उम्मीद है और इस पर विश्वास भी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री खुद मैतई समुदाय से हैं और इस वजह से कुकी समुदाय ने सीएम के प्रति कई बार अविश्वास जाहिर किया है। हालांकि इसे लेकर सीएम ने कहा कि 'वह एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं और खुद को मैतई के तौर पर नहीं देखते। मैं सभी का मुख्यमंत्री हूं।'
इंफाल में शांति, पहाड़ों में तनाव
मणिपुर में मैतई बहुल इंफाल में हालात सामान्य हैं और सड़कों पर अच्छी खासी चहल-पहल है। वहीं पहाड़ी इलाकों में, जो कुकी बहुल हैं, वहां तनाव बरकरार है और कुकी लोगों को छोड़कर वहां अन्य सभी को वर्जित कर दिया गया है। एन बीरेन सिंह ने कहा कि संघर्ष की शुरुआत साल 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से हुई, जब उन्होंने पड़ोसी देश म्यांमार से अवैध ड्रग व्यापार और प्रवास पर नकेल कसी थी। उनके दमन से प्रभावित लोगों ने कुकी-मैतेई संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची। कुकी ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियाँ हैं, जबकि मैतेई मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। कुकी जनजाति का ताल्लुक म्यांमार से है।
'राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास'
सिंह ने कई उपग्रह तस्वीरों का हवाला देकर कहा कि साल 2001 में जो क्षेत्र बड़े पैमाने पर निर्जन थे, वे 15 साल बाद आबादी से भरे हुए थे। उन्होंने कहा कि तस्वीरें अवैध बस्तियों के सबूत हैं, जो राज्य की जनसांख्यिकी को बदल रही हैं। सिंह ने कहा कि मार्च 2023 में मणिपुर उच्च न्यायालय के एक फैसले में मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी, जिससे कुकी लोगों में गुस्सा और बढ़ गया, जिन्हें लगा कि उनके अधिकारों को कम किया जा रहा है, हालांकि सिंह की सरकार ने अदालत के आदेश को लागू नहीं किया। इसी के चलते हिंसा भड़की।
प्रधानमंत्री के मणिपुर न आने पर दी सफाई
विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा नहीं किया है। इस पर सीएम सिंह ने कहा कि 'पीएम का आना या न आना लोगों द्वारा एक मुद्दा बना दिया गया है। पीएम भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है। और पीएम ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी मणिपुर के बारे में बहुत बार बात की है... और सुरक्षा, फंडिंग आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही किया जा रहा है। एक जटिल स्थिति में पीएम का आना जरूरी नहीं था।'
इस्तीफे और मणिपुर को बांटने के सवाल पर ये बोले सीएम
विपक्ष द्वारा उनका इस्तीफा मांगे जाने पर एन बीरेन सिंह ने कहा कि 'मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ कोई घोटाला हुआ है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है? मैंने राज्य को अवैध प्रवास, अवैध अफीम की खेती से बचाया है। मेरा काम मणिपुर और मणिपुर के लोगों की रक्षा करना है। (इस्तीफा देने का) कोई सवाल ही नहीं है।' उन्होंने कुकी लोगों की अलग प्रशासन की मांग को भी खारिज कर दिया। सीएम ने कहा कि 'मणिपुर एक छोटा राज्य है, मेहनतकश राज्य है। हमारे पूर्वजों का 2000 साल का इतिहास है। इस राज्य को बनाने के लिए कई बलिदान दिए गए। इस राज्य को तोड़ा नहीं जा सकता या अलग प्रशासन नहीं हो सकता।
इंफाल में शांति, पहाड़ों में तनाव
मणिपुर में मैतई बहुल इंफाल में हालात सामान्य हैं और सड़कों पर अच्छी खासी चहल-पहल है। वहीं पहाड़ी इलाकों में, जो कुकी बहुल हैं, वहां तनाव बरकरार है और कुकी लोगों को छोड़कर वहां अन्य सभी को वर्जित कर दिया गया है। एन बीरेन सिंह ने कहा कि संघर्ष की शुरुआत साल 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से हुई, जब उन्होंने पड़ोसी देश म्यांमार से अवैध ड्रग व्यापार और प्रवास पर नकेल कसी थी। उनके दमन से प्रभावित लोगों ने कुकी-मैतेई संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची। कुकी ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियाँ हैं, जबकि मैतेई मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। कुकी जनजाति का ताल्लुक म्यांमार से है।
'राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास'
सिंह ने कई उपग्रह तस्वीरों का हवाला देकर कहा कि साल 2001 में जो क्षेत्र बड़े पैमाने पर निर्जन थे, वे 15 साल बाद आबादी से भरे हुए थे। उन्होंने कहा कि तस्वीरें अवैध बस्तियों के सबूत हैं, जो राज्य की जनसांख्यिकी को बदल रही हैं। सिंह ने कहा कि मार्च 2023 में मणिपुर उच्च न्यायालय के एक फैसले में मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी, जिससे कुकी लोगों में गुस्सा और बढ़ गया, जिन्हें लगा कि उनके अधिकारों को कम किया जा रहा है, हालांकि सिंह की सरकार ने अदालत के आदेश को लागू नहीं किया। इसी के चलते हिंसा भड़की।
प्रधानमंत्री के मणिपुर न आने पर दी सफाई
विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा नहीं किया है। इस पर सीएम सिंह ने कहा कि 'पीएम का आना या न आना लोगों द्वारा एक मुद्दा बना दिया गया है। पीएम भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है। और पीएम ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी मणिपुर के बारे में बहुत बार बात की है... और सुरक्षा, फंडिंग आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही किया जा रहा है। एक जटिल स्थिति में पीएम का आना जरूरी नहीं था।'
इस्तीफे और मणिपुर को बांटने के सवाल पर ये बोले सीएम
विपक्ष द्वारा उनका इस्तीफा मांगे जाने पर एन बीरेन सिंह ने कहा कि 'मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ कोई घोटाला हुआ है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है? मैंने राज्य को अवैध प्रवास, अवैध अफीम की खेती से बचाया है। मेरा काम मणिपुर और मणिपुर के लोगों की रक्षा करना है। (इस्तीफा देने का) कोई सवाल ही नहीं है।' उन्होंने कुकी लोगों की अलग प्रशासन की मांग को भी खारिज कर दिया। सीएम ने कहा कि 'मणिपुर एक छोटा राज्य है, मेहनतकश राज्य है। हमारे पूर्वजों का 2000 साल का इतिहास है। इस राज्य को बनाने के लिए कई बलिदान दिए गए। इस राज्य को तोड़ा नहीं जा सकता या अलग प्रशासन नहीं हो सकता।
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