सार
RBI Report: भारतीय अर्थव्यवस्था लचीलापन और स्थिरता प्रदर्शित कर रही है। 2024-25 में जीडीपी 6.6 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। आइए इस बारे में जानें।
विस्तार
रिजर्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट का दिसंबर 2024 अंक किया जारी
रिजर्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट का दिसंबर 2024 अंक जारी किया है। यह रिपोर्ट भारतीय वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन और वित्तीय स्थिरता के जोखिमों पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, "मजबूत लाभप्रदता, घटती गैर-निष्पादित आस्तियों और पर्याप्त पूंजी और तरलता बफर्स से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की मजबूती को बल मिला है। आस्तियों पर प्रतिफल (आरओए) और इक्विटी पर प्रतिफल (आरओई) दशक के उच्चतम स्तर पर है, जबकि सकल गैर-निष्पादित आस्तियों (जीएनपीए) का अनुपात कई वर्षों के निम्नतम स्तर पर आ गया है।"
अधिकांश अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी बफर
आरबीआई के अनुसार मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि अधिकांश एससीबी के पास पर्याप्त पूंजी बफर है। स्ट्रेस टेस्ट म्यूचुअल फंड और क्लियरिंग कॉरपोरेशन के लचीलेपन के भी संकेत देते हैं। अर्थव्यवस्था के बारे में एफएसआर ने कहा कि 2024-25 की पहली छमाही के दौरान वास्तविक जीडीपी वृद्धि (वर्ष दर वर्ष) घटकर 6 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2023-24 की पहली छमाही और दूसरी छमाही में क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
आरबीआई ने कहा, "घरेलू कारकों, मुख्य रूप से सार्वजनिक खपत और निवेश, मजबूत सेवा निर्यात और आसान वित्तीय स्थितियों में तेजी से समर्थन मिलने से 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही में विकास दर में सुधार होने की उम्मीद है।"
महंगाई पर रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर, खरीफ की बम्पर फसल के अवस्फीतिकारी प्रभाव तथा रबी फसल की संभावनाओं के कारण खाद्यान्नों की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। दूसरी ओर, चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति खाद्य मुद्रास्फीति की गतिशीलता के लिए जोखिम पैदा करती रहती है। लगातार जारी भू-राजनीतिक संघर्ष और भू-आर्थिक विखंडन भी वैश्विक आपूर्ति शृंखला और वस्तुओं की कीमतों पर दबाव डाल सकते हैं।