सार
Surya Grahan 2024: आज साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्यग्रहण 50 वर्षों बाद सबसे लंबा चलने वाला ग्रहण होगा, जो करीब 5 घटें और 25 मिनट तक चलेगा। लेकिन इस खगोलीय घटना को भारत का उपग्रह आदित्य एल1 कैद नहीं कर पाएगा। आईये जानते है इसके पीछे का कारण..
विस्तार
भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित सौर वेधशाला, आदित्य एल1 लगातार सूर्य का अध्ययन कर रही है, लेकिन बावजूद इसके ये सैटेलाइट सूर्य ग्रहण को नहीं देख पाएगा। गौरतलब है कि आज साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्यग्रहण 50 वर्षों बाद सबसे लंबा चलने वाला ग्रहण होगा, जो करीब 5 घटें और 25 मिनट तक चलेगा। इस दौरान सूर्य ग्रहण अपने चरम पर होगा, तब कुछ समय के लिए पृथ्वी पर अंधेरा छा जाएगा।
आदित्य एल1 नहीं देख पाएगा पूर्ण सूर्यग्रहण
इस बीच, भारत का आदित्य एल1 सैटेलाइट इस खगोलीय घटना का कैद नहीं कर पाएगा। ऐसा नहीं कि यह उपग्रह ऐसा करने में असमर्थन है, बल्कि इसलिए कि उपग्रह को ऐसे स्थान पर रखा गया है, जो सूर्य का निर्बाध चौबीसों घटें, 365 दिन तक देख सकता है। भारतीय वैज्ञानिकों ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्थान चुना कि ग्रहण के कारण उपग्रह का दृश्य कभी अवरुद्ध न हो। इसरो के आदित्य एल1 उपग्रह के परियोजना निदेशक निगार शाजी का कहना है कि ग्रहण के कारण सूर्य में कुछ भी बदलाव नहीं होगा।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल1 सूर्यग्रहण नहीं देख पाएगा क्योंकि चंद्रमा अंतरिक्ष यान के पीछे लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 बिंदु) पर है, पृथ्वी पर दिखाई देने वाले ग्रहण का उस स्थान पर ज्यादा असर नहीं होगा। 'आदित्य एल1' को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा गया है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है।
इस बीच, भारत का आदित्य एल1 सैटेलाइट इस खगोलीय घटना का कैद नहीं कर पाएगा। ऐसा नहीं कि यह उपग्रह ऐसा करने में असमर्थन है, बल्कि इसलिए कि उपग्रह को ऐसे स्थान पर रखा गया है, जो सूर्य का निर्बाध चौबीसों घटें, 365 दिन तक देख सकता है। भारतीय वैज्ञानिकों ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्थान चुना कि ग्रहण के कारण उपग्रह का दृश्य कभी अवरुद्ध न हो। इसरो के आदित्य एल1 उपग्रह के परियोजना निदेशक निगार शाजी का कहना है कि ग्रहण के कारण सूर्य में कुछ भी बदलाव नहीं होगा।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल1 सूर्यग्रहण नहीं देख पाएगा क्योंकि चंद्रमा अंतरिक्ष यान के पीछे लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1 बिंदु) पर है, पृथ्वी पर दिखाई देने वाले ग्रहण का उस स्थान पर ज्यादा असर नहीं होगा। 'आदित्य एल1' को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा गया है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है।
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