सार
अमेठी में सियासी सूरमाओं ने भी जमानत गंवाई है। 2019 के चुनाव में 28 में से 26 उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा पाए थे। मेनका गांधी, शरद यादव और कांशीराम जैसे बड़े नाम इस लिस्ट में शामिल हैं।
विस्तार
अमेठी का अपना एक अलग मिजाज है। सियासत का मैदान हो या फिर कुछ और, यहां के मतदाताओं ने हर बार कुछ नया किया है। कभी जीत का रिकॉर्ड बनाया तो कभी सियासी सूरमाओं को ऐसा सबक दे दिया कि वह हार के साथ अपनी जमानत तक गवां बैठे।
चाहे वह मेनका गांधी हो या फिर बसपा के संस्थापक कांशीराम, जनता दल के शरद यादव व आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ चुके डॉ. कुमार विश्वास। इन नेताओं की अमेठी में जमानत तक जब्त हो चुकी है।
वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी का पहला चुनाव कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी ने जीता। इस चुनाव में छह उम्मीदवारों में से चार की जमानत जब्त हो गई।
वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी का पहला चुनाव कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी ने जीता। इस चुनाव में छह उम्मीदवारों में से चार की जमानत जब्त हो गई।
1971 के चुनाव में जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के विद्याधर के अलावा मैदान में उतरे चार अन्य प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा सके। 1977 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय लोकदल के रवींद्र प्रताप सिंह व कांग्रेस के संजय गांधी को छोड़कर दो अन्य को हार के साथ जमानत तक गंवानी पड़ी।