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Waqf Bill: वक्फ बिल को जेपीसी के पास क्यों भेजा गया, समिति कैसे और क्या काम करती है, विधेयक का अब क्या होगा

 सार

WAQF (Amendment) Bill 2024 : वक्फ संशोधन विधेयक के लिए जेपीसी गठित कर दी गई है। जेपीसी में कुल 31 सदस्य हैं। इनमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद शामिल हैं। संसद द्वारा किसी खास विषय या विधेयक की गहन जांच करने के लिए जेपीसी को बनाया जाता है। जेपीसी क्या है? अब विधेयक में आगे क्या होगा? आइये जानते हैं..




विस्तार

देश में इस वक्त वक्फ की चर्चा जोरों पर है। शुक्रवार को वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के लिए जेपीसी गठित कर दी गई। इससे पहले संसद में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। कांग्रेस और सपा समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। वहीं, सरकार ने कहा कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। सदन में हंगामे के बीच सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश कर दी।

बिल के पेश होने से पहले ही कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसे संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेजने की मांग कर रहे थे। सदन में हंगामें के बीच सरकार ने बिल को जेपीसी के पास भेजने की सिफारिश की।

से में सवाल उठता है कि जेपीसी क्या होती है? जेपीसी का गठन कब किया जाता है? पहले जेपीसी का गठन कब हुआ है?  अब इस विधेयक का क्या होगा? आइए जानते हैं.

पहले जानते हैं कि वक्फ बिल पर हुआ क्या? 
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक में मौजूद प्रावधानों का विरोध करने के बाद सरकार ने इसे जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की मांग की। 

40 से अधिक संशोधनों के साथ, वक्फ (संशोधन) विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में कई भागों को खत्म करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी परिवर्तन की बात कही गई है। इसमें केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। इसके साथ ही किसी भी धर्म के लोग इसकी कमेटियों के सदस्य हो सकते हैं। अधिनियम में आखिरी बार 2013 में संशोधन किया गया था। विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने गुरुवार को बिल संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की सिफारिश की गई। 

Waqf Amendment Bill 2024 sent to Joint Parliamentary Committee Know its powers functions and what happens next
संसद में बोलते किरेन रिजिजू - फोटो : संसद टीवी
अब जानते हैं कि जेपीसी क्या होती है?
संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी संसद की वह तदर्थ समिति होती है, जिसे संसद द्वारा किसी खास विषय या विधेयक की गहन जांच करने के लिए बनाया जाता है। जेपीसी में सभी पार्टियों की बराबर भागीदारी होती है। जेपीसी को यह अधिकार होता है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है और उससे पूछताछ कर सकती है, जिसको लेकर उसका गठन हुआ है। अगर वह व्यक्ति, संस्था या पक्ष जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो यह संसद की अवमानना माना जाएगा। इसके बाद जेपीसी संबंधित व्यक्ति या संस्था से इस बाबत लिखित या मौखिक जवाब या फिर दोनों मांग सकती है।

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संसद - फोटो : संसद टीवी वीडियो ग्रैब
जेपीसी की शक्तियां क्या हैं?
संसदीय समितियों की कार्यवाही गोपनीय होती है, लेकिन प्रतिभूति और बैंकिंग लेन-देन में अनियमितताओं के मामले में एक अपवाद है। इसमें समिति निर्णय लेती है कि मामले में व्यापक जनहित को देखते हुए अध्यक्ष को समितियों के निष्कर्ष के बारे में मीडिया को जानकारी देनी चाहिए।

मंत्रियों को आम तौर पर सबूत देने के लिए जेपीसी नहीं बुलाती है। हालांकि, प्रतिभूति और बैंकिंग लेनदेन की जांच में दोबारा अनियमितताओं के मामले में फिर एक अपवाद है। इस मामले में जेपीसी अध्यक्ष की अनुमति के साथ, मंत्रियों से कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांग सकती है। किसी मामले में साक्ष्य मांगने को लेकर विवाद पर अंतिम शक्ति समिति के अध्यक्ष के पास होती है।  जेपीसी को विशेषज्ञों, सरकारी संस्थाओं, संघों, व्यक्तियों या इच्छुक पक्षों से स्वयं की पहल पर या उनके अनुरोध पर साक्ष्य जुटाने का अधिकार है।

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संसद - फोटो : 
जेपीसी में कौन-कौन होता है? 
समिति में सदस्यों की संख्या अलग-अलग मामलों में भिन्न हो सकती है। इसमें अधिकतम 30-31 सदस्य हो सकते हैं, जिसका अध्यक्ष बहुमत वाली पार्टी के सदस्य को बनाया जाता है। लोकसभा के सदस्य राज्यसभा की तुलना में दोगुने होते हैं। उदाहरण के लिए यदि संयुक्त संसदीय समिति में 20 लोकसभा सदस्य हैं तो 10 सदस्य राज्यसभा से होंगे और जेपीसी के कुल सदस्य 30 होंगे। शुक्रवार को वक्फ विधेयक संबंधी संयुक्त समिति गठित की गई जिसमें 31 सदस्य हैं।

इसके अलावा समिति में सदस्यों की संख्या भी बहुमत वाली पार्टी की अधिक होती है। किसी भी मामले की जांच के लिए समिति के पास अधिकतम तीन महीने की समयसीमा होती है। इसके बाद संसद के समक्ष उसे अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी होती है। समिति अपना कार्यकाल या कार्य पूरा होने के बाद भंग हो जाती है। समिति की सिफारिशें सलाहकारी होती हैं और सरकार के लिए उनका पालन करना अनिवार्य नहीं है।लोकसभा डिजिटिल लाइब्रेरी के अनुसार, अलग-अलग मामलों को लेकर कुल आठ बार जेपीसी का गठन किया जा चुका है।

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Loksabha Speaker OM Birla - फोटो :
इसका गठन कब होता है और पहले कब-कब हुआ? 
संयुक्त संसदीय समिति का गठन तब होता है जब प्रस्ताव को एक सदन द्वारा अपनाया जाता है और दूसरे सदन द्वारा इसका समर्थन किया जाता है। जेपीसी के गठन का एक अन्य तरीका भी होता है। इसमें दोनों सदनों के दो पीठासीन प्रमुख एक दूसरे को पत्र लिख सकते हैं, एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं और संयुक्त संसदीय समिति का गठन कर सकते हैं।

आजादी के बाद से कई संयुक्त समितियां बनाई गई हैं। हालांकि, चर्चित मुद्दों की जांच के लिए  बनी समितियों में (1) बोफोर्स तोप खरीद घोटाला, (2) सुरक्षा एवं बैंकिंग लेन-देन में अनियमितता, (3) शेयर बाजार घोटाला और (4) शीतल पेय पदार्थों में कीटनाशक अवशेषों और सुरक्षा मानकों के मामले पर बनी समितियां शामिल हैं।

वक्फ विधेयक के मामले में जेपीसी क्या करेगी?
समिति के सदस्यों की ओर से विभिन्न खंडों में संशोधन पेश किये जा सकते हैं। समिति उन संघों, सार्वजनिक निकायों या विशेषज्ञों से साक्ष्य भी ले सकती है जो विधेयक में रुचि रखते हैं। इसी तरह समिति वफ्फ विधेयक के पहलुओं और सांसदों की आपत्तियों पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट  सदन को पेश कर देगी। 
 

जेपीसी में कौन-कौन है?
लोकसभा ने शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक के लिए जेपीसी का हिस्सा बनने के लिए 21 सदस्यों को नामित करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया। वहीं जेपीसी में 10 सदस्य राज्यसभा से भी होंगे। इसे अगले संसद सत्र के पहले हफ्ते के अंत तक अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है। 

लोकसभा सांसदपार्टी
जगदम्बिका पालभाजपा
निशिकांत दुबेभाजपा
तेजस्वी सूर्याभाजपा
अपराजिता सारंगीभाजपा
संजय जायसवालभाजपा
दिलीप सैकियाभाजपा
अभिजीत गंगोपाध्यायभाजपा
डीके अरुणाभाजपा
गौरव गोगोईकांग्रेस
इमरान मसूदकांग्रेस
मुहम्मद जावेदकांग्रेस
मौलाना मोहिबुल्ला नदवीसपा
कल्याण बैनर्जीटीएमसी
ए. राजाद्रमुक
लावु श्री कृष्ण देवरायलूटीडीपी
दिलेश्वर कामतजदयू
अरविंद सावंतशिवसेना (यूबीटी)
सुरेश गोपीनाथएनसीपी (शपा)
नरेश गणपत म्हस्केशिवसेना
अरुण भारतीलोजपा (आर)
असदुद्दीन ओवैसीएआईएमआईएम

राज्यसभा सांसदपार्टी
बृज लालभाजपा
डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णीभाजपा
गुलाम अलीभाजपा
डॉ. राधा मोहन दास अग्रवालभाजपा
सैयद नासिर हुसैनकांग्रेस
मोहम्मद नदीमुल हकटीएमसी
वी. विजयसाई रेड्डीवाईएसआरसीपी
एम. मोहम्मद अब्दुल्लाद्रमुक
संजय सिंहआप
डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़ेमनोनीत

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