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OPS: पुरानी पेंशन को रक्षा कर्मियों का भरपूर समर्थन, 99.9 फीसदी ने अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में की वोटिंग

 सार

केंद्र सरकार में 15 लाख कर्मियों की संख्या वाले दो बड़े महकमे, रेलवे और डिफेंस (सिविल) में सोमवार को 'पुरानी पेंशन' की मांग पर राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेने के लिए वोटिंग कराई गई। रेलवे कर्मियों का रिजल्ट आना बाकी है। वजह, रेलवे में करीब 11 लाख कर्मचारी हैं...




विस्तार

पुरानी पेंशन बहाली' को लेकर केंद्र सरकार के रक्षा विभाग (सिविल) में कर्मचारियों का जबरदस्त समर्थन मिला है। सरकार द्वारा 'पुरानी पेंशन' बहाल नहीं की जाती है, तो रक्षा विभाग के करीब चार लाख कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के वरिष्ठ सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, अनिश्चितकालीन हड़ताल के बारे में रेलवे और डिफेंस कर्मियों का मत जानने के लिए 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट कराया गया था। इसमें डिफेंस की 400 यूनिटों के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया है। लगभग 99.9 फीसदी कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में मत दिया है।

दो दिन तक हुई है वोटिंग

केंद्र सरकार में 15 लाख कर्मियों की संख्या वाले दो बड़े महकमे, रेलवे और डिफेंस (सिविल) में सोमवार को 'पुरानी पेंशन' की मांग पर राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेने के लिए वोटिंग कराई गई। 20 और 21 नवंबर को 400 डिफेंस यूनिट, 7349 रेलवे स्टेशन, मंडल व जोनल दफ्तर, 42 रेलवे वर्कशॉप और सात रेलवे प्रोडेक्शन यूनिटों पर स्ट्राइक बैलेट के तहत वोट डाले गए हैं। रेलवे कर्मियों का रिजल्ट आना बाकी है। वजह, रेलवे में करीब 11 लाख कर्मचारी हैं। अभी वोटों का मत प्रतिशत निकाला जा रहा है। एक दो दिन में परिणाम घोषित किया जाएगा। अगर कर्मचारियों का दो तिहाई बहुमत, अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में आता है, तो बहुत जल्द देश में रेलें थम जाएंगी, आयुद्ध कारखाने, जो अब निगमों में तब्दील हो चुके हैं, वहां पर काम बंद हो जाएगा। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों के अनेक दूसरे विभागों में भी हड़ताल होगी।



अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प

सी. श्रीकुमार का कहना है, पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। देश के लगभग सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। बैंक एवं इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मियों से सकारात्मक बातचीत हुई है। कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। अब उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प बचता है। दस अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से आए लाखों कर्मियों ने 'ओपीएस' को लेकर हुंकार भरी थी। कर्मचारियों ने दो टूक शब्दों में कहा था कि वे हर सूरत में पुरानी पेंशन बहाल कराकर ही दम लेंगे। सरकार को अपनी जिद्द छोड़नी पड़ेगी। कर्मचारियों ने कहा था कि वे सरकार को वह फॉर्मूला बताने को तैयार हैं, जिसमें सरकार को ओपीएस लागू करने से कोई नुकसान नहीं होगा। अगर इसके बाद भी सरकार, पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है तो 'भारत बंद' जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे।

पुरानी पेंशन पर राजनीतिक नुकसान की बात

ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद 'जेसीएम' के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा था, लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है। केंद्र के सभी मंत्रालय/विभाग, रक्षा कर्मी (सिविल), रेलवे, बैंक, डाक, प्राइमरी, सेकेंडरी, कालेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर, दूसरे विभागों एवं विभिन्न निगमों और स्वायत्तशासी संगठनों के कर्मचारी, ओपीएस पर एक साथ आंदोलन कर रहे हैं। बतौर मिश्रा, वित्त मंत्रालय ने जो कमेटी बनाई है, उसमें 'ओपीएस' का जिक्र ही नहीं है। उसमें तो एनपीएस में सुधार की बात कही गई है। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार, ओपीएस लागू करने के मूड में नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में चाहे जो भी सुधार किया जाए, कर्मियों को वह मंजूर नहीं है। कर्मियों का केवल एक ही मकसद है, बिना गारंटी वाली 'एनपीएस' योजना को खत्म किया जाए और परिभाषित एवं गारंटी वाली 'पुरानी पेंशन योजना' को बहाल किया जाए।

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